खेलों इंडिया में देश के पारंपरिक खेलों को भी पर्याप्त अवसर
खेलों इंडिया 2022 का लक्ष्य 2024 में पेरिस में होने वाले ओलंपिक में ज्यादा से ज्यादा गोल्ड मेडल्स जीतना है। साथ ही खेलों इंडिया के प्रमुख उद्देश्यों में आधुनिक खेलों के साथ-साथ देश के पारंपरिक खेलों को बड़े स्तर पर बढ़ावा देना है। हमारे देश में सदियों से खेले जाने वाले खेल कबड्डी, खो-खो, और मलखम्ब तथा सबसे प्राचीन योगासन को भी इसमें शामिल किया गया है।
इन स्थानों पर होंगे ये खेल
खेलों इंडिया के तहत जबलपुर में आर्चरी, साइक्लिंग (रोड़) फेंसिंग और खो-खो होंगे। इसी तरह भोपाल में एथलेटिक्स, बॉक्सिंग, जुडो, कायकिंग (स्प्रिंट), रोविंग, शूटिंग औए स्विमिंग, इंदौर में बास्केटबॉल, कबड्डी, टेबल टेनिस, टेनिस, रेसलिंग और वेटलिफ्टिंग, उज्जैन में मलखम्ब और योगासन, ग्वालियर में बैडमिंटन, जिम्नास्टिक, हॉकी तथा कलारीपयट्टू, बालाघाट में फुटबॉल (गर्ल्स) मंडला में गटका व थांगटा तथा महेश्वर में कैनो स्लेलम होगा।
कायकिंग और कैनोइंग में यह है अंतर
खेलों इंडिया-2022 की गाइड लाइन के अनुसार वॉटर खेल में स्विमिंग के अलावा नाव की दो अलग-अलग गतिविधियां है जो गत वर्षों में बहुत लोकप्रिय हुई है। इसमें कायकिंग और कैनोइंग शामिल है। इनके स्थल और खेल विधा के आधार पर इसे कायकिंग (स्प्रिंट) और कैनोइंग (स्लेलम) के नाम से भी जाना जाता है।
जिला खेल अधिकारी श्रीमती पवि दुबे ने बताया कि कायकिंग शांत या ठहरे हुए पानी में खेला जाने वाला एक इवेंट है। जो स्पीड के साथ एक विशेष तरह की नाव द्वारा ही किया जाता है। यह खेल व्यक्तिगत तौर पर ही होता है। जबकि कैनोइंग तेज धारा में बहते हुए जल में ही होता है। महेश्वर में होने वाले कैनो स्लेलम दोनों वर्ग बालक व बालिका दोनों वर्गों में होगा। महेश्वर में कैनो स्लेलम 6 व 7 फरवरी को तथा भोपाल में कायकिंग 7 फरवरी से 9 फरवरी को आयोजित होगी।
