राज्यसभा सांसद सुमेरसिंह सोलंकी ने सदन में उठाया मामला, सरकार की तरफ से पेश किए गए आंकड़े चिंताजनक
मुंबई-आगरा नेशनल हाइवे पर गणपति घाट हादसों का पर्याय बन चुका है।
फोरलेन निर्माण के बाद सेे लगातार सड़क हादसों में सैकड़ों लोग काल के आगोश में समा चुके हैं।
इनमें बड़ी संख्या में मासूम बच्चे भी शामिल हैं।
इसलिए यह देश का सबसे डेंजर जोन हैं, जहां पिछले दो सालों के आंकड़ों पर नजर डालें तो मरने वालों की संख्या 1800 से अधिक हैं।
ये आंकड़ा 2016 से 2018 के बीच हादसों का है।
दुर्घटनाएं सामान्यत: होती है, लेकिन किसी निश्चित स्थान पर होना गंभीर विषय है।
खरगोन जिले की सीमा पर बनी काकड़दा पुलिस चौकी के तहत गणपति घाट में अब तक 978 दुर्घटनाएं हुई हैं।
जिसमें कई माताओं ने अपने बेटों को, कितनी बहनों ने अपने भाइयों को और छोटे-छोटे बच्चों ने अपने माता पिता को और लोगों ने अपने सगे संबंधियों को खोया है। और ये दुर्घटनाएं निरंतर बनी हुई है।
दो किमी का घाट बेहद खतरनाक
इस मार्ग व घाट मार्ग के 2 किमी के गणपति घाट क्षेत्र में सैकड़ों दुर्घटनाएं हो चुकी है और यह सिलसिला लगातार जारी है।
साल में शायद ही कोई दिन ऐसा होगा, जब यहां दुर्घटना न हुई हो।
सोलंकी ने कहा कि यह एक गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है। इसका अविलंब निराकरण होना चाहिए।
2 वर्ष में ही 1800 से अधिक मौतें
डॉ. सुमेरसिंह सोलंकी ने सरकारी आंकड़े पेश किए।
इनके मुताबिक मार्ग पर 2016 से 2018 तक कुल 978 दुर्घटनाएं हुई। जिसमें 1267 लोगों की मौत हुई हैं।
साथ ही वर्ष 2016 से 2018 के बीच 626 मासूम बच्चे और न जाने कितने नौजवानों को यह सड़क लील चुकी है।
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